Friday, January 15, 2010

बिन प्रेम के भगवान नहीं

तुलसीदास जी कहते हैं...

मिलहिं न रघुपति बिनु अनुरागा। किएँ जोग तप ग्यान बिरागा।।
कोई कितना भी योग, तप, ज्ञान या वैराग्य का पालन करे, उसको भगवान नहीं मिलेंगे जिसके मन में उनके लिए सच्चा प्रेम नहीं होगा।


हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। प्रेम ते प्रगट होंहि मैं जाना॥
भगवान हर जगह व्याप्त हैं। किसी को उन्हें कुछ दिखाने की जरुरत नहीं है। उन्हें आपके मन और जीवन दोनों की स्थिति का पूरा ज्ञान है। लेकिन वो प्रकट होते हैं, तो केवल उसी के लिए, जिसके मन में उनके लिए सच्चा प्रेम हो।

Saturday, January 2, 2010

राम नाम अति मीठा है...

सुनिए अनूप जलोटा जी की आवाज में यहाँ पर

राम नाम अति मीठा है कोई गा के देख ले।
राम नाम अति मीठा है कोई गा के देख ले
आ जाते हैं राम कोई बुला के देख ले।
राम नाम अति मीठा है कोई गा के देख ले॥

जिस घर में अंधकार वहाँ मेहमान कहाँ से आये।
जिस मन में अभिमान वहाँ भगवान कहाँ से आये।
जिस घर में अंधकार उस घर में मेहमान कहाँ से आये।
जिस मन में अभिमान उस मन में भगवान कहाँ से आयें।
अपने मन मंदिर में जोत जला के देख ले।
आ जाते हैं राम कोई बुला के देख ले।
राम नाम अति मीठा है...

आधे नाम में आ जाते हैं, हो कोई बुलाने वाला।
बिक जाते हैं राम, कोई हो मोल चुकाने वाला।
आधे नाम में आ जाते हैं, हो कोई बुलाने वाला।
बिक जाते हैं राम, कोई हो मोल चुकाने वाला।
कोई शबरी, झूठे बेर खिला के देख ले।
आ जाते हैं राम, कोई बुला के देख ले।
राम नाम अति मीठा है...

सीता राम सीता राम सीता राम कहिये।
सीता राम सीता राम सीता राम कहिये।
सीता राम कहिये सीता राम कहिये।
जाही विधि राखें राम ताहि विधि रहिये।

राम नाम अति मीठा है कोई गा कर देख ले।
आ जाते हैं राम कोई बुला कर देख ले॥