सीस पगा न झगा तन पे प्रभु, जानै को आहि बसै केहि ग्रामा।
धोती फटी-सी लटी दुपटी अरु, पाँयउ पानह की नहिं सामा॥
द्वार खड़ो द्विज दुर्बल एक, रह्यौ चकि सों वसुधा अभिरामा।
पूछत दीन दयाल को धाम, बतावत आपनो नाम सुदामा॥
बाकी देखिये यहाँ पर...
कौन ये महत्वपूर्ण आ गया है द्वार पर, कि अगुवानी करने को ऐसे अकुलाते हैं...
इति
Thursday, March 24, 2011
मित्रता हो तो ऐसी...
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सीस पगा न झगा तन पे,
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1 comment:
kripya meri bhi kavita padhe aur apni tippani den www.pradip13m.blogspot.com
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