Saturday, September 12, 2009

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बोल री कठपुतली डोरी (कठपुतली, 1957)
इसी गाने का दूसरा रूप

शैलेन्द्र जी का बहुत ही सुंदर गाना और वैजयंतीमाला का खूबसूरत प्रदर्शन...

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यही है वह सांझ और सवेरा (सांझ और सवेरा, 1964)

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